STRUGGLING TWENTIETH CENTURY (Part 2)
द्वितीय विश्वयुद्ध, 1939-1945 तक चलने वाला एक विश्वस्तरिय युद्ध था। लगभग 70 देशो की जल, थल और वायु सेनाओ ने इसमे भाग लिया था। इस युद्ध मे विश्व दो भागो मे बटा हुआ था l मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र l विश्वयुद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया। क्योकि इस युद्ध में सारी महशक्तियो ने, अपनी आर्थिक औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध मे झोक दी। इस युद्ध मे दुनिया के अलग अलग देशो के लगभग 10 करोड सैनिकों ने हिस्सा लिया था और ये युद्ध मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध साबित हुआ. इस महायुद्ध मे लगभग 6 करोड लोगो कि जाने गयी क्योकी उसकी महत्त्व पूर्ण घटनाक्रमो में असैनिक नागरिको का नरसंहार भी शामील हैं। तथा परमानु हाथीयारो का उपयोग भी शामिल है। जिसके कारन युद्ध के अंत में मित्र राष्ट्रो की जित हुइ। इसी कारन ये मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था.World War 2
English Translation
The Second World War was a world class war lasting from 1939–1945. Water, land and air forces of about 70 countries participated in it. In this war, the world was divided into two parts. Allied nations and Axis nations. During World War, the spirit of complete war came into vogue. Because in this war, all the great powers, in this war, put their economic, industrial and scientific ability. About 10 crore soldiers from different countries took part in this war and this war proved to be the deadliest war in human history. About 6 crores people have been known in this great war, because its importance includes the massacre of civilians in full events. And the use of Paramanu Hathiyaro is also included. Due to which the end of the war was won by the Allies. Due to this, it was the worst war in human history.
प्रथम विश्वयुदध की विभिशिका ते त्रस्त होकर तथा भविष्य मे इसे रोकने के लिए 1919 मे राष्ट्रसंघ यानी के लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना कि गई थी। लेकिन ये संस्था दिवतिय विश्वयुद्ध को रोकने में पूरी तरह से विफल रही। क्योकी बहुत छोटी अवधी में ही दुसरा विश्व युद्ध हुआ जो पहले से भी अधिक विनाशकारी था. प्रथम विश्वयुद्ध के बहुत से कारन द्वितीय विश्र्वयुद्घ से मिलते है। 1939 की स्थिती, 1914 से कुछ अधिक अलग नही थी। युरोपीय गुटबांदिया, सैन्यवाद तथा साम्राज्यवाद की द्वितीय विश्र्वयुध्छत मे अहम भूमिका थी। दोस्तो, आप जानते है की द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारन थे। वरसाय की अपमानजनक संधि. द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वरसाय के संधी मे ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रो ने जिस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मनी कभी- भुल नही सका। जर्मनी को इस संधी पर हस्ताक्षर करने पर विवश कर दिया गया था.
English Translation
In 1919, the League of Nations, the League of Nations, was established in order to prevent the suffering of the First World War and to prevent it in the future. But this institution completely failed to stop the divine world war. Because in a very short period, there was another world war which was more destructive than before. Many of the causes of the First World War meet the Second World War. The situation in 1939 was not much different from 1914. European factionalism, militarism and imperialism had an important role in the Second World War. Friends, you know what was the reason of World War II. Disgraceful Treaty of Versailles. The seeds of World War II were sown in the Treaty of Versailles. Germany could never forget the kind of degrading treatment the friend had done to Germany. Germany was forced to sign this treaty.
संधि के शर्तों के अनुसार, जर्मन साम्राज्य का एक बहुत बड़ा हिस्सा मित्र राष्ट्रो ने छिनकर आपस मे बाट लिया था। उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से भी अपाहिज बना दिया गया। इसिलिये जर्मनी वरसाय की संधी को राष्ट्रीय कलंक मानते थे। मित्र राष्ट्रो के लिए उनके दिल में बदले की भावना भडकी हुई थी। एडॉल्फ हिटलर ने इस बदले की भावना को और अधिक भड़काया। और जर्मनी की सत्ता हाथिया ली. और सत्ता में आते ही उसने वार्साय कि संधी की धज्जिया उड़ा दी और घोर आक्रमक निति अपना ली। और दुसरा विश्वयुद्ध शुरू कर दिया. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यूरोप मे ताणाशाही शक्तियो का उदय और विकास हुआ। जर्मनी मे हिटलर और इटली मे मुसोलिनी तानाशाह बन बैठे. प्रथम विश्व युद्ध मे इटली ने मित्र राष्ट्रो का साथ दिया, लेकिन पॅरिस शांती सम्मेलन मे उसे कोई खास लाभ नही हूवा. इससे इटली मे असंतोष की भावना जगी। इसका फायदा उठाकर मुसोलिनी ने फासिवाद कि स्थापना कर, सारी शक्तिया अपने हाथो मे ली। वो इटली का शासक बन चुका था।
English Translation
According to the terms of the treaty, a large part of the German Empire was disbanded by the Allied Nations. He was also handicapped in military and economic terms. Therefore, Germany considered Versailles treaty as a national stigma. His sense of revenge was instilled in his heart for friend Rashtro. Adolf Hitler further fueled this revenge spirit. And took the power of Germany. And as soon as he came to power, he blew Warshi's treaty and adopted a fierce aggressive policy. And the second world war started. After the First World War, the rise and development of dictatorial powers in Europe. Hitler became dictator in Germany and Mussolini became dictator in Italy. In the First World War, Italy supported the Allies, but it did not gain much advantage at the Paris Peace Conference. This led to a feeling of discontent in Italy. Taking advantage of this, Mussolini took fascism in his hands, establishing fascism. He had become the ruler of Italy.
तो दोस्तो, आज के इस लेख मे, मैं आपको यूरोप मे होनेवाली तानाशाही, द्वितीय विश्व युद्ध और उसके दुनिया पर होनेवाले परिनाम के बारे मे बताने वाला हुँ। तानाशाही कि वजह, मुसोलिनि के फासिस्टवाद कि तानाशाही, मुसोलिनी का फासिस्टवाद , मुसोलिनी कि सत्ता मे इटली, जर्मनी मे हिटलर की नाझी तानाशाही ,जर्मनी मे नाझीवाद का उदय, जर्मनी में अॅडॉल्फ हिटलर का नाझीवाद, जर्मनी मे हिटलर कि सत्ता , हिटलर कि विदेश निती , तुर्की मे केमालपाश कि सुधारनावादी तानाशाही, केमालपाशा कि सुधारनाए, जपान मे सैन्य तानाशाही, पहले विश्व युद्ध के बाद जपान, मान्चुरिया विवाद के कारन जपान मे सैन्यवाद को बढावा, सैन्यवाद का उदय, सैन्य साम्राज्यवाद का राष्ट्रवादी तत्वज्ञान, द्वितीय विश्व युद्ध और दुनिया, द्वितीय विश्व युद्ध के कारण (वैश्विक आर्थिक समस्याए, सैन्य तानाशाही का उदय, शांती संधी और प्रादेशिक पुनर्घटन , राष्ट्रसंघ कि विफलता, अत्याधिक राष्ट्रवाद और शस्त्र प्रतियोगिता), विश्व युद्ध की शुरआत, विश्व युद्ध के परिणाम , बड़ी मात्रा मे जीवित और वित्त हानी, आर्थिक नतिजे, साम्राज्यवाद का पतन, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध, संयुक्त राष्ट्रसंघ कि स्थापना इन सारे मुद्दो पर विस्तृत चर्चा करेंगे.
English Translation
So friends, in this article today, I am going to tell you about the dictatorship in Europe, the Second World War and its consequences on the world. The reasons for dictatorship, the dictatorship of Mussolini's fascism, Mussolini's fascism, Mussolini's power in Italy, Hitler's Nazi dictatorship in Germany, the rise of Nazism in Germany, Adolf Hitler's Nazism in Germany, Hitler's power in Germany, Hitler's foreign policy , Reformist dictatorship of Kemalpash in Turkey, reforming Kemalpasha, military dictatorship in Japan, Japan post-World War I, promotion of militarism in Japan due to Manchuria dispute, rise of militarism, nationalist philosophy of military imperialism, World War II and world, Due to World War II (Global Economic problems, rise of military dictatorship, peace treaty and territorial reorganization, failure of the League of Nations, excessive nationalism and arms competition), the onset of world war, the consequences of world war, large amounts of living and finances, economic policies, the fall of imperialism, The Cold War between the United States and Russia, the establishment of the United Nations will discuss all these issues in detail.
1) यूरोप, द्वितीय विश्व युद्ध और दुनिया में तानाशाही
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ही एक राजतंत्र के बजाय एक प्रतिनिधि लोकतंत्र को अपनाया गया था। पहले दस साल, आमतौर पर 1920 से 1930 तक, उत्साह से भरे होते थे। संयुक्त राष्ट्र के महान देशों ने शांति की गवाही देने के लिए विभिन्न योजनाओं को तैयार किया। लेकिन यह सीन ज्यादा समय तक नहीं चला। क्योंकि लोकतंत्र युद्ध के बाद की अवधि की समस्याओं को हल करने में विफल रहा, और इसके कारण यूरोप के विभिन्न हिस्सों में तानाशाही का उदय हुआ। इन तानाशाहों में जर्मनी के हिटलर और इटली के मुसोलिनी थे। इसका उद्देश्य तुर्की में केमलपाशा की कल्याणकारी तानाशाही और जापान में सैन्य तानाशाही का अध्ययन करना है।
तानाशाही के उदय के कारण:
प्रथम विश्व युद्ध के तुरंत बाद, असंतोष, अशांति और अस्थिरता दुनिया में लौट आई। वित्तीय कठिनाइयों के कारण आम लोगों में असंतोष बढ़ गया। शांति संधियों ने पराजित राष्ट्रों पर अपमानजनक स्थितियाँ लागू कीं, जबकि कुछ राष्ट्रों की आशाएँ और आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुईं, जिससे राष्ट्रों में विजय और असंतोष पैदा हुआ। संयुक्त राष्ट्र से न्याय और सुरक्षा की आशा धराशायी हो गई। कई राष्ट्रों में लोकतांत्रिक सरकारें एक के बाद एक ढह गई हैं। परिणामस्वरूप, सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली पर लोगों का पतन शुरू हो गया। यह विचार कि हमारे देश की समस्याओं का समाधान लोकतांत्रिक साधनों के माध्यम से किया जा सकता है, सहानुभूति के माध्यम से नहीं, बल्कि सरकार और सेना की केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से हो सकता है। इस स्थिति के कारण काफी हद तक तानाशाहों का उदय हुआ।
मुसोलिनी की इटली में फासीवादी तानाशाही:
हालाँकि प्रथम विश्व युद्ध में इटली विजयी राष्ट्रों की तरफ था, लेकिन मित्र राष्ट्रों ने शांति प्रक्रिया के दौरान इटली से किए गए वादों को पूरा नहीं किया। इससे इटली में असंतोष का माहौल बन गया। युद्ध के कारण हुए आर्थिक नुकसान के कारण देश कर्ज में डूबा था। युद्ध के बाद, कई सैनिक बेरोजगार हो गए, मुद्रास्फीति बढ़ गई, और भोजन की कमी शुरू हो गई। कारखाने में हमले और तालाबंदी हुई। मध्यम वर्ग को रोटी की सुरक्षा और वित्तीय सुरक्षा की चिंता होने लगी। ऐसी स्थिति में, इटली में समाजवादियों ने यह सोचना शुरू किया कि इटली के साथ-साथ रूस में भी क्रांति होनी चाहिए। इटली की तत्कालीन लोकतांत्रिक सरकार उपरोक्त सभी प्रश्नों का समाधान करने में विफल रही। आदि। सी। 1919 से 1922 तक तीन वर्षों में, छह-पक्षीय सरकार सत्ता में आई और समाप्त हो गई। इटली को ऐसी निराशाजनक स्थिति से बचाने के लिए फासीवादी पार्टी आगे आई। पार्टी ने 1922 में बेनिटो मुसोलिनी के तहत इटली में सत्ता पर कब्जा कर लिया।
Mussolini's fascist dictatorship in Italy:
Although Italy was on the side of the victorious nations in World War I, the Allies did not fulfill the promises made to Italy during the peace process. This created an atmosphere of discontent in Italy. The country was in debt due to the economic losses caused by the war. After the war, many soldiers became unemployed, inflation rose, and food shortages began. Attacks and lockouts occurred at the factory. The middle class began to worry about the safety and financial security of bread. In such a situation, socialists in Italy began to think that there should be a revolution in Italy as well as in Russia. The then democratic government of Italy failed to address all the above questions. e.t.c. C. In the three years from 1919 to 1922, the six-party government came to power and ended. The Fascist Party came forward to save Italy from such a hopeless situation. The party captured power in Italy in 1922 under Benito Mussolini.
बेनिटो मुसोलिनी का फासीवाद:
मुसोलिनी इटली में एक लोहार का बेटा था। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में एक सैनिक के रूप में कार्य किया। युद्ध के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए एक शिक्षक और पत्रकार के रूप में काम किया। बाद में वे राजनीति में शामिल हो गए। आदि 1919 में, उन्होंने फासीवादी पार्टी की स्थापना की। उन्होंने इतालवी लोगों का समर्थन पाने के लिए पत्रक और भाषणों के माध्यम से कई वादे करने शुरू कर दिए। उन्होंने इटली को युद्ध पूर्व प्रतिष्ठा और उज्ज्वल भविष्य देने पर जोर दिया। भविष्य से निराश, इटालियंस ने उसे आशा के साथ देखा। लोगों की मदद से, उन्होंने कम्युनिस्ट विरोधी प्रचार प्रसार करके भी पूंजीपतियों का समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने पार्टी का एक अनुशासित संगठन खड़ा किया। फ़ासिस्ट अश्वेतों का एक उग्रवादी समूह थे। पार्टी की ताकत और एकता के प्रतीक के रूप में, उन्होंने पार्टी का प्रतीक "कू-हड एक जोड़ी लाठी" में बनाया। व्यक्तिगत हित की तुलना में राष्ट्रीय हित अधिक महत्वपूर्ण है। मुसोलिनी की फासीवादी पार्टी का विचार चरम राष्ट्रवाद, साम्यवाद के उग्र विरोध और इटली के उज्ज्वल भविष्य के प्रति निष्ठा पर आधारित था। यूरोप के इतालवी भाषी क्षेत्र, अफ्रीका में धूआं और कुछ क्षेत्रों के बंदरगाह को एक साथ लाना, औद्योगिक प्रगति के माध्यम से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करना, निजी संपत्ति, साहसी, निर्णायक और साहसिक नीति की रक्षा करके किसानों और मजदूर वर्ग की मदद करना देश की गौरवशाली नीति के रूप में। ये फासीवादी पार्टी के मुख्य उद्देश्य थे।
English Translation
Mussolini was the son of a blacksmith in Italy. He served as a soldier in World War I. After the war, he worked as a teacher and journalist for some time. Later he got involved in politics. Etc. In 1919, he founded the Fascist Party. He started making many promises through leaflets and speeches to get the support of the Italian people. He insisted on giving Italy a pre-war reputation and a bright future. Frustrated with the future, Italians looked to him with hope. With the help of the people, he also got the support of the capitalists by spreading anti-communist propaganda. He set up a disciplined organization of the party. The Fascists were a militant group of blacks. As a symbol of strength and unity of the party, he made the symbol of the party "Ku-Haad in a pair of sticks". The national interest is more important than the individual interest. Mussolini's fascist party thought was based on extreme nationalism, fierce opposition to communism, and loyalty to Italy's bright future. Bringing together the Italian-speaking region of Europe, the port of Fume and some territories in Africa, improving the economic situation of the country through industrial progress, helping the peasants and the working class by protecting private property, bold, decisive and bold foreign policy as the country's glorious policy. These were the main objectives of the fascist party.
Benito Mussolini
मुसोलिनी के तहत इटली: (1922 से 1945)
इटली की बागडोर संभालते ही मुसोलिनी ने अपनी शक्ति को केंद्रित किया। राजा को केवल नाममात्र का राज्य प्रमुख बनाया। सभी विपक्षी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया। राष्ट्र के विधायिका में फासीवादी पार्टी के सदस्यों का चुनाव कैसे किया जाएगा, इसकी व्यवस्था की। उनकी नीति का विरोध करने वाले अधिकारियों और असंतुष्टों को गिरफ्तार किया गया और झूठे आरोपों में कैद किया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि अखबारों पर मजबूत निबंध थोपकर उनके खिलाफ कोई प्रचार नहीं होना चाहिए। ट्रेड यूनियनों को दबा दिया गया, हर जगह फासीवादी पार्टी का प्रभुत्व बढ़ गया। अपने सहयोगियों की मदद से आर्थिक विकास कार्यक्रमों को लागू करके आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार किया। त्वरित औद्योगिक विकास। फासीवादी विचारधारा शिक्षा से सभी सामान्य युवाओं में फैल गई। उन्होंने पूरे इतिहास में उनके प्रदर्शन की प्रशंसा की ताकि उनकी विचारधारा लोगों द्वारा स्वीकार की जाएगी। तुम्हारी निती मुसोलिनी आदि के लिए इतालवी लोगों का समर्थन प्राप्त करने के बाद, 1923 से, इटली ने इटली का विस्तार करना शुरू कर दिया। तुर्की से, उसने ईजियन सागर में द्वीपों का अधिग्रहण किया और वहां नौसेना का आधार स्थापित किया। 1924 में फ्यूम के बंदरगाह का अधिग्रहण किया गया था। यूरोपीय राष्ट्र आर्थिक मंदी की लहर में लगे हुए हैं। इस अवसर का लाभ उठाते हुए उसने अफ्रीकी महाद्वीप के देश इथियोपिया पर आक्रमण किया। संयुक्त राष्ट्र मुसोलिनी की आक्रामक नीति का विरोध नहीं कर सका। मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवादी इटली अधिक आक्रामक राष्ट्र बन गया। उनकी आक्रामक नीति ने यूरोप में शांति भंग करना शुरू कर दिया।
English Translation
Italy under Mussolini: (1922 to 1945)
Mussolini concentrated his power as soon as he took over the reins of Italy. Made the king only a nominal head of state. Banned all opposition parties. Arranged how the members of the fascist party would be elected in the legislature of the nation. Officers and dissidents who opposed his policy were arrested and imprisoned on false charges. He suggested that there should be no propaganda against him by imposing strong essays on newspapers. Trade unions were suppressed, increasing the dominance of the fascist party everywhere. Improved the living standards of the common man by implementing economic development programs with the help of his colleagues. Accelerated industrial development. The fascist ideology spread from education to all ordinary youth. He praised his performance throughout history so that his ideology would be accepted by the people. Your after gaining the support of the Italian people for the policy, Mussolini, etc. C. From 1923, Italy began to expand. From Turkey, he acquired islands in the Aegean Sea and set up naval base there. In 1924 the port of Fume was acquired. European nations are engaged in a wave of economic recession. Taking advantage of this opportunity, he invaded Ethiopia, a country on the African continent. The United Nations could not resist Mussolini's aggressive policy. Under Mussolini's leadership, fascist Italy became a more aggressive nation. His aggressive policy began to disturb the peace in Europe
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2) जर्मनी में हिटलर की नाजी तानाशाही:
2) जर्मनी में हिटलर की नाजी तानाशाही:
वह स्थिति जिसके कारण इटली में फासीवादी पार्टी सत्ता में आई। उसी आर्थिक संकट और अराजकता के कारण जर्मनी में नाजी पार्टी का उदय हुआ। यूरोप में फासीवादी और नाजी पार्टियों की सोच और काम करने के तरीकों में कई समानताएँ हैं। नाजी पार्टी का पूरा नाम 'नेशनल सोशलिस्ट पार्टी' था। इस नाम के आरंभ से ही इस पार्टी का नाम 'नाजी' हो गया। इस पार्टी के संस्थापक एडॉल्फ हिटलर थे।
English Translation
2) Hitler's Nazi dictatorship in Germany:
The situation that led to the fascist party in power in Italy. The same economic crisis and anarchy led to the rise of the Nazi Party in Germany. There are many similarities between the ways of thinking and working of fascist and Nazi parties in Europe. The full name of the Nazi party was 'National Socialist Party'. From the beginning of this name, the name of this party became 'Nazi'. The founder of this party was Adolf Hitler.
जर्मनी में नाज़ीवाद का उदय:
प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मन सम्राट के निरसन के बाद, नवंबर 1918 में एक गणतंत्र की स्थापना की गई थी। नए राज्य का गठन वीमार शहर में किया गया था। यह कहा गया था। वीमर संविधान जर्मनी में पहला लिखित संविधान था। संविधान जर्मनी में सभी वयस्क पुरुषों और महिलाओं को मतदान का अधिकार देता है। इसने जर्मन नागरिकों को कानूनों का प्रस्ताव करने, कानूनों की सहमति और प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार भी दिया। उसी वीमर सरकार ने जर्मनी पर लगाए गए अपमानजनक वर्साय संधि को स्वीकार कर लिया। इससे जर्मन लोगों में, विशेषकर सेना में बहुत गुस्सा था। युद्धग्रस्त देश वर्साय की अर्थव्यवस्था को सुधारने में सरकार विफल रही। इसके विपरीत, आर्थिक नुकसान बढ़ रहा था। आम जर्मन जनता आर्थिक तंगी से त्रस्त थी, जैसे कि लोगों पर लगाए जाने वाले करों का बोझ, और कई अन्य कर। कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं था जो जर्मनी को इस आर्थिक संकट की खाई से सुरक्षित बाहर निकाल सके। 1929 के महामंदी के साथ, जर्मनी की आर्थिक वृद्धि घटने लगी। कारोबार और व्यापार ठंडा हो गया, बैंक डूब गए और डूब गए। महंगाई बढ़ गई। आम आदमी के लिए जीवन असहनीय हो गया। वीमर सरकार इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पाई है। महत्वाकांक्षी एडॉल्फ हिटलर ने ऐसी निराशाजनक स्थिति का फायदा उठाया। उन्होंने नाजी पार्टी के माध्यम से जर्मन लोगों से अपील की। उन्होंने दावा करना शुरू कर दिया कि देश के सामने आने वाली सभी समस्याओं के लिए उनके पास रामबाण उपाय है। भड़काऊ भाषण देकर, हिटलर ने जर्मनी के लोगों को अपनी तरफ घुमाया।
English Translation
The rise of Nazism in Germany:
A republic was established in November 1918, following the repeal of the German emperor after World War I. The new state was formed in the city of Vimar. it was said. The Weimar Constitution was the first written constitution in Germany. The constitution gives voting rights to all adult men and women in Germany. It also empowered German citizens to propose laws, consent to laws and recall representatives. The same Weimar government accepted the abusive Versailles Treaty imposed on Germany. This caused a lot of anger among the German people, especially in the military. The government failed to improve the economy of the war-torn country of Versailles. In contrast, economic losses were increasing. The general German public was plagued by economic constraints, such as the burden of taxes on people, and many other taxes. There was no political party that could safely get Germany out of this economic crisis. With the Great Depression of 1929, Germany's economic growth began to decline. Business and business cooled down, banks sank and sank. Inflation has increased. Life became unbearable for the common man. The Weimar government has not been able to find a way out of this situation. The ambitious Adolf Hitler took advantage of such a hopeless situation. He appealed to the German people through the Nazi Party. He started claiming that he had a panacea for all the problems facing the country. By making provocative speeches, Hitler drove the people of Germany to his side.
एडोल्फ हिटलर का नाजीवाद:
हिटलर का जन्म 1889 में एक सर्व-साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता की मृत्यु हो गई जब वह एक बच्चा था और वह एक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सका। वह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान घरों में चित्रकारी कर रहा था। बाद में उन्हें जर्मन सेना में नौकरी मिल गई। उन्होंने युद्ध में कई पदक जीते। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद उन्हें सेना से छुट्टी दे दी गई थी। 1920 में, उन्होंने नेशनल सोशलिस्ट उर्फ नाजी नामक एक पार्टी बनाई, जिसमें उनके जैसे कुछ अन्य बेवकूफों को एक साथ लाया गया।
एडॉल्फ हिटलर की विचारधारा को 'नाजीवाद' के रूप में जाना जाता है। उनकी आत्मकथा, माइन काम्फ (माई फाइट), उनके नाजीवाद की प्रकृति को दर्शाती है। हिटलर जर्मन गणराज्य की सरकार से नाराज था। वर्साय की अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर करने वाली सरकार एक अपराधी, देशद्रोही है, वह कभी भी देश के हितों की सेवा नहीं कर पाएगी। यही वह खुलकर कह रहा था। उनके लिए अत्यधिक देशभक्ति महत्वपूर्ण थी। उनका शिक्षण यह था कि जर्मन नागरिकों को दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जर्मन शुद्ध नॉर्डिक (आर्यन) वंश के हैं। इन श्रेष्ठ अन्य हीन जातियों पर शासन करना प्रकृति पर निर्भर है। जर्मनी में यहूदी लोगों के विश्वासघाती स्वभाव के कारण प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई थी। इसलिए उन्हें देश से बाहर निकाल देना चाहिए। जर्मनों को अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करके दुनिया के लिए अपना मूल्य दिखाना होगा, क्योंकि युद्ध लोगों की अव्यक्त शक्तियों को जगाता है। हिटलर ने एक राष्ट्र, एक आवाज, एक नेता, एक ध्वज की घोषणा की। वह खुद को मुसोलिनी की तरह एक महान नेता के रूप में देखने लगा। इसीलिए भयभीत जर्मन लोग यह सोचने लगे कि हिटलर उनका तारणहार था।
English Translation
Naziism of Adolf Hitler:
Hitler was born in 1889 into a common family. His father died when he was a child and could not receive an education. He was painting in homes during World War I. He later got a job in the German Army. He won many medals in the war. He was discharged from the army after the end of World War II. In 1920, he formed a party called National Socialist aka Nazi, which brought together some other idiots like him.
The ideology of Adolf Hitler is known as 'Nazism'. His autobiography, Mine Kampf (My Fight), reflects the nature of his Nazism. Hitler was angry with the government of the German Republic. The government that signed the offending treaty of Versailles is a criminal, a traitor, will never serve the interests of the country. This is what he was saying openly. Highly patriotic was important to him. His teaching was that German citizens should be prepared to gain an important place in the world. The Germans are of pure Nordic (Aryan) descent. It is dependent on nature to rule these superior other inferior castes. Germany was defeated in World War I due to the treacherous nature of the Jewish people in Germany. So they should be kicked out of the country. The Germans have to show their worth to the world by increasing their military power, because war arouses the latent powers of the people. Hitler declared a nation, a voice, a leader, a flag. He came to see himself as a great leader like Mussolini. That is why the terrified Germans started thinking that Hitler was their savior.
Adolf Hitler
Mussolini and Hitler
Germany
जर्मन मे सत्ता:
हिटलर ने जर्मनी की संपत्ति, शिक्षित और पूंजीपतियों को देश को साम्यवाद से बचाने, काम करने के लिए बेरोजगार, देशभक्तों के उत्थान के लिए मध्यम वर्ग का वादा करके अपनी और नाजी पार्टी की लोकप्रियता में वृद्धि की। मार्च 1933 के चुनाव में, नाजी पार्टी ने इतनी सीटें जीतीं कि हिटलर पूरी शक्ति चाहता था। हिटलर ने कुछ दिनों में फिर से चुनाव की घोषणा करके और पहले से ही विपक्ष का प्रबंधन करके भारी बहुमत जीता। बहुमत के समर्थन के साथ, हिटलर 1933 में जर्मनी का चांसलर बना। सभी शक्तियों को संभालने के बाद, उन्होंने 1934 में प्रधान मंत्री और जर्मनी के राष्ट्रपति का पद संभाला और 'राष्ट्रवादी' की उपाधि धारण की। जर्मनी के संघीय रूप को समाप्त कर दिया और इसे एक महासंघ में बदल दिया। घटक राज्यों की विधानसभाओं को भंग कर दिया और उनके संप्रभु अधिकारों को समाप्त कर दिया।
हिटलर की आंतरिक नीति:
सत्ता संभालने के बाद, हिटलर ने जर्मनी को पूरी तरह से नाज़ी बनाने की नीति अपनाई। उन्होंने जासूसों के साथ काम किया जिन्होंने नाज़ी पार्टी और राज्य का विरोध किया। साम्यवाद, समाजवाद और शांतिवाद के शिक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हिटलर और नाजी पार्टी के दर्शन पूरे पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने लगे और मीडिया के माध्यम से नाजियों की प्रशंसा की जाने लगी। हिटलर की बात मानना हर किसी का कर्तव्य था। हड़ताल, तालाबंदी को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। निर्माता कारखानों को बंद नहीं रख सकते थे। श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच विवाद में सरकार का निर्णय अंतिम था, और 1934 में जर्मनी ने खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने के लिए चौथी वार्षिक योजना का मसौदा तैयार किया।उच्च गुणवत्ता वाले बीज और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया। हिटलर यूथ ’के युवाओं को खेतों में काम करने के लिए प्रेरित किया। रासायनिक प्रयोगों के माध्यम से, जर्मनी कोयला और लकड़ी से सिंथेटिक ऊल, रबर और गैसोलीन के उत्पादन में सफल रहा।
English Translation
German power:
Hitler increased his and Nazi party's popularity by promising Germany's wealth, the educated, and the capitalists to save the country from communism, the unemployed to work, the middle class for the uplift of the patriots. In the election of March 1933, the Nazi party won so many seats that Hitler wanted full power. Hitler won an overwhelming majority in a few days by announcing re-election and already managing the opposition. With majority support, Hitler became Chancellor of Germany in 1933. After assuming all powers, he assumed the office of Prime Minister and President of Germany in 1934 and assumed the title of 'Nationalist'. Abolished the federal form of Germany and turned it into a federation. Dissolved the legislative assemblies of constituent states and abolished their sovereign rights.
Hitler's internal policy:
After assuming power, Hitler adopted the policy of making Germany completely Nazi. He worked with spies who opposed the Nazi party and the state. The teaching of communism, socialism, and pacifism was banned. The philosophy of Hitler and the Nazi party began to be taught throughout the course and the Nazis were praised through the media. It was everyone's duty to obey Hitler. The strike, lockout was declared illegal. Producers could not keep factories closed. The government's decision in the dispute between workers and employers was final, and in 1934 Germany drafted the fourth annual plan to make food grains self-sufficient. The use of high quality seeds and chemical fertilizers. हि Motivated the youth of Hitler Youth to work in the fields. Through chemical experiments, Germany was successful in the production of synthetic wool, rubber, and gasoline from coal and wood.
हिटलर की विदेश नीति:
आंतरिक रूप से जर्मनी की प्रगति के बाद, हिटलर ने यूरोपीय राजनीति में एक आक्रामक भूमिका निभानी शुरू की। उन्होंने जर्मनी को विश्व मंच पर सम्मान देने के लिए कदम उठाए। वर्साय की संधि, हमारी राय में, सिर्फ एक कागज़ है और इस संधि को अमान्य कर दिया है। इस प्यास ने जर्मनी पर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटा दिया और अनिवार्य सैन्य शिक्षा शुरू कर दी। सेना और नौसेना में वृद्धि हुई। वायु सेना ने उठाया।
हथियारों का उत्पादन शुरू किया। 1934 में अपनी आक्रामक सैन्य नीति का विरोध नहीं करने के लिए हिटलर ने संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा दे दिया। इस क्षेत्र में एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया था, जिसमें नाजी पार्टी का प्रभुत्व बढ़ गया था, और इस क्षेत्र को जर्मनी द्वारा खारिज कर दिया गया था। 1935 में, हिटलर ने जबरन नाइन लैंड पर नियंत्रण किया और वीवर नदी के पास एक ध्वस्त द्वीप पर जर्मन सैनिकों को भेज दिया। 1937 में, हिटलर ने विरोधी कम्युनिस्ट यूरोपीय समूहों को मजबूत करने के लिए इटली और जापान के साथ संधियों पर हस्ताक्षर किए। इसी समूह को 'बर्लिन रोम टोक्यो एक्सिस समझौते' के रूप में जाना जाता है। इस समझौते का लाभ उठाते हुए, हिटलर ने दुनिया में चरम राष्ट्रवाद और सैन्यवाद को बढ़ावा दिया। इसका परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध का प्रकोप था।
3) तुर्की में केमलपाशा की सुधारवादी तानाशाही:
केमलपाशा ने 1923 में तुर्की में लोकतंत्र की स्थापना की और इसके पहले राष्ट्रपति बने। उन्होंने घोषणा की कि हर चार साल में चुनाव होंगे। लेकिन उन्होंने अपनी तानाशाही स्थापित की। कमांडर-इन-चीफ के रूप में, उन्होंने सेना को नियंत्रित किया। हालाँकि वे पूरे तुर्की के शासक तानाशाह थे, लेकिन उन्होंने तुर्की लोगों के कल्याण और आधुनिकीकरण के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग किया। इस प्रकार, तुर्की ने एक नए युग में प्रवेश किया।
English Translation
Hitler's Foreign Policy:
Following Germany's progress internally, Hitler began to play an aggressive role in European politics. He took steps to honor Germany on the world stage. The Treaty of Versailles is, in our opinion, just a paper and has invalidated the treaty. This thirst removed all restrictions imposed on Germany and started compulsory military education. Army and Navy increased. The Air Force took up. UpdateStarted production of weapons. Hitler resigned from the United Nations in 1934 for not opposing his aggressive military policy. A referendum was held in the region, which increased the dominance of the Nazi party, and the region was rejected by Germany. In 1935, Hitler forcibly controlled the Nine Land and dispatched German troops to a demolished island near the Weaver River. In 1937, Hitler signed treaties with Italy and Japan to strengthen anti-communist European groups. The same group is known as the 'Berlin Rome Tokyo Axis Agreement'. Taking advantage of this settlement, Hitler promoted extreme nationalism and militarism in the world. The result was the outbreak of World War II.
3) Kemalpasha's reformist dictatorship in Turkey:
Kemalpasha established democracy in Turkey in 1923 and became its first president. He announced that elections would be held every four years. But he established his dictatorship. As commander-in-chief, he controlled the army. Although he was the ruling dictator of the whole of Turkey, he exercised his rights for the welfare and modernization of the Turkish people. Thus, Turkey entered a new era.
मुस्तफा केमल पाशा का जन्म 1881 में तुर्की के एक लकड़ी व्यापारी के परिवार में हुआ था। सैन्य स्कूल में शिक्षा पदभार संभालने के बाद, उन्होंने तुर्की की सेना में भर्ती हो गए। वह सेना में कमांडर के पद तक पहुंचे क्योंकि उनके पास नेतृत्व के कई गुण थे। केमलपाशा आधुनिक विचारों के नेता थे। उनका विचार था कि तुर्की को प्रथम विश्व युद्ध में भाग नहीं लेना चाहिए। लेकिन सुल्तान ने बात नहीं मानी और जर्मनी की तरफ से युद्ध में हिस्सा लिया। जर्मनी के बाद युद्ध में तुर्की की हार हुई थी। 1920 में, मित्र राष्ट्रों ने सेवर्स में तुर्की के साथ एक संधि की। इस राष्ट्र पर अपमानजनक शर्तें लगाई गईं। केमलपाशा ने बार-बार कहा कि सुल्तान माजिद को सेवर्स समझौते को स्वीकार नहीं करना चाहिए। लेकिन सुल्तान ने मित्र देशों के डर से संधि को स्वीकार कर लिया। केमलपाशा इससे सहमत नहीं थी। उसने तुर्की सेना में शामिल होने और मित्र राष्ट्र के खिलाफ युद्ध का फैसला किया। तुर्की के लोग केमलपाशा के साथ रहते थे। केमलपाशा ने मित्र राष्ट्रों को वापस लेने के लिए चतुराई से मजबूर किया। मित्र राष्ट्रों ने सेवर्स की संधि को रद्द कर दिया और 1923 में केमलपाशा के साथ एक नई संधि पर हस्ताक्षर किए। इससे पहले केमलपाशा ने सुल्तान के खिलाफ विद्रोह किया और अंकारा में एक नए गणराज्य की स्थापना की। केमलपाशा इसकी प्रमुख बना।
English Translation
Mustafa Kemalpasha
जापान कई छोटे द्वीपों का देश है। प्राचीन काल से 19 वीं शताब्दी के मध्य तक, जापान में एक सामंती व्यवस्था थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के कमोडोर पेरी, आदि। सी। चूंकि जापान ने 1853 में जापानी धरती पर पैर रखा था, इसलिए वह पश्चिमी देशों के संपर्क में था। इसके तुरंत बाद, जापान ने तेजी से औद्योगिक प्रगति की। औद्योगिक प्रगति ने जापान की अर्थव्यवस्था में सुधार किया। पश्चिमी देशों के साथ, जापान ने विचारों, शिक्षण विधियों, रीति-रिवाजों और राजनीतिक प्रणाली के आदान-प्रदान में सुधार करके साम्राज्यवाद की ओर रुख किया। जापान ने विस्तारवाद के माध्यम से कोरिया पर चीनी प्रभुत्व का सवाल उठाया। 1894-95 में, जापान ने चीन को हराया और शिमोनोस्की की संधि के अनुसार कोरिया पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। 1904-05 में रूस को हराकर 20 वीं सदी की शुरुआत में सुदूर पूर्व में रूसी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक बख्तरबंद युद्ध में। प्रथम विश्व युद्ध में, जापान ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के अनुसरण में मित्र राष्ट्रों की तरफ से लड़ाई लड़ी। स्वाभाविक रूप से, 1919 के शांति सम्मेलन में, जापान अपनी कई मांगों पर सहमत हुआ।
English Translation
4) Military dictatorship in Japan: -
Japan is a country of many small islands. From ancient times until the middle of the 19th century, Japan had a feudal system. Commodore Perry of the United States, etc. C. Since Japan set foot on Japanese soil in 1853, it has been in contact with Western nations. Shortly thereafter, Japan made rapid industrial progress. Industrial progress improved Japan's economy. Along with the Westerners, Japan turned to imperialism by reforming the exchange of ideas, teaching methods, customs and political system. Japan raised the question of Chinese dominance over Korea through expansionism. In 1894-95, Japan defeated China and established its dominance over Korea according to Shimonoseki's treaty. Defeated Russia in 1904-05 in an armored war to counter Russian influence in the Far East at the beginning of the 20th century. In World War I, Japan fought on the side of friendly nations in pursuit of its imperialist policy. Naturally, at the 1919 peace conference, Japan agreed to many of its demands.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान:
पेरिस की शांति से जापान को बहुत लाभ हुआ। जापान पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में एक दोस्त नौसैनिक शक्ति के रूप में अंतरराष्ट्रीय प्रमुखता के लिए बढ़ा। लेकिन जापान के बढ़ते प्रभुत्व को अमेरिका ने बर्दाश्त नहीं किया। इसलिए अमेरिका ने जापान की नौसैनिक शक्ति पर अंकुश लगाने और साम्राज्य के विस्तार को रोकने के उपाय करने शुरू कर दिए। 1921 में, अमेरिकी राष्ट्रपति हार्डिंगेस ने नौसैनिक कटौती पर विचार करने के लिए वाशिंगटन सम्मेलन बुलाया। इसके चलते जापानी नौसेना बलों की तैनाती हुई। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, जापान ने अपने सभी लाभ खो दिए। इसलिए जापान नाराज था। 1919 से 1930 तक जापान ने मॉडरेशन की नीति अपनाई। जापान ने कोई नया क्षेत्र हासिल नहीं किया, लेकिन जापान ने संयुक्त राज्य और पश्चिमी देशों के प्रति अपनी नीति बदल दी। उन पर आपकी नई नीति की घोषणा की गई है। वैश्विक मंदी ने जापान को कड़ी टक्कर दी। इसका फायदा उठाते हुए, जापान में आतंकवादी संप्रदाय 'शिंटो' ने एक आक्रामक रणनीति को लागू करना शुरू कर दिया।
मंचूरिया मुद्दा जापान में सैन्यवाद को प्रोत्साहित करता है:
मंचुरिया में जापान के आर्थिक और राजनीतिक हितों का गहरा संबंध था। मंचूरिया, जो खनिजों में समृद्ध है, जापान की समृद्धि का केंद्र था। जापान अपनी बढ़ती आबादी और अपनी खनिज संपदा को समायोजित करने के लिए पूरे मंचूरिया पर हावी होना चाहता था। उसका चीन ने विरोध किया था। चीन के विरोध के बावजूद 1932 में जापान ने पूरे मंचूरिया पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने जापान के खिलाफ आक्रामक रुख नहीं अपनाया। इंग्लैंड और फ्रांस जैसे बड़े देशों ने भी इसे नजरअंदाज किया। इस बीच, जापान ने संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा दे दिया। क्वातुंग समूह के सैन्य नेताओं ने जापानी सरकार को सूचित किए बिना मंचूरिया पर आक्रमण किया। इस प्रकार, जापान का मंचूरिया पर आक्रमण सैन्यवाद के लिए उत्प्रेरक था।
English Translation
Japan after World War I:
The peace of Paris benefited Japan greatly. Japan rose to international prominence as a buddy naval power in the eastern Pacific. But the US did not tolerate Japan's growing dominance. So the United States began to take measures to curb Japan's naval power and prevent the expansion of the empire. In 1921, US President Hardinges convened the Washington Conference to consider naval cuts. This led to the deployment of Japanese naval forces. After World War I, Japan lost all its benefits. So Japan was offended. From 1919 to 1930, Japan adopted a policy of moderation. Japan did not gain any new territory, but Japan changed its policy towards the United States and Western nations. Your new policy on them has been announced. The global recession hit Japan hard. Taking advantage of this, the militant sect 'Shinto' in Japan started implementing an aggressive strategy.
The Manchuria issue encourages militarism in Japan:
Japan's economic and political interests were deeply rooted in Manchuria. Manchuria, which is rich in minerals, was the center of Japan's prosperity. Japan wanted to dominate the whole of Manchuria to accommodate its growing population and its mineral wealth. He was opposed by China. In 1932, Japan established control over the whole of Manchuria, despite opposition from China. China lodged a complaint with the United Nations. But the United Nations did not take an aggressive stance against Japan. The big nations like England and France also ignored it. Meanwhile, Japan resigned from the United Nations. The military leaders of the Kwatung group invaded Manchuria without the Japanese government noticing. Thus, Japan's invasion of Manchuria was a catalyst for militarism.
सैन्य साम्राज्यवाद का राष्ट्रवादी दर्शन:
दो विश्व युद्धों के बीच की अवधि तानाशाही दर्शन का उदय था। इस तानाशाही दर्शन ने जापान को भी प्रभावित किया। इस अवधि के दौरान, रूस में साम्यवादी तानाशाही का उदय हुआ, इटली में फासीवादी तानाशाही और जर्मनी में नाजी तानाशाही। पार्टी की अपनी दार्शनिक बैठक भी थी। जापानी नेता इस तानाशाही के समर्थक थे। इन नेताओं ने अपनी विशिष्ट जापानी परंपराओं के आधार पर एक नया राष्ट्रवादी दर्शन बनाया। सेना की सफलता के कारण, अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा जो सेना ने जापान को दी है, जापानी समाज में 'सैनिकों' वर्ग के बारे में विश्वास था। सेना की इस प्रतिष्ठा का उपयोग एक नए दर्शन का निर्माण करने के लिए किया गया था। जापान के उत्थान के लिए एक "समृद्ध राष्ट्र, एक मजबूत सेना" का उद्घोष अब जोर पकड़ रहा है।
The period between the two world wars was the rise of dictatorial philosophy. This dictatorial philosophy also influenced Japan. During this period, communist dictatorship emerged in Russia, fascist dictatorship in Italy and Nazi dictatorship in Germany. The party also had its own philosophical meeting. Japanese leaders were supporters of this dictatorship. These leaders created a new nationalist philosophy based on their distinctive Japanese traditions. Due to the success of the military, the international prestige that the military has given to Japan was a belief about the 'soldiers' class in Japanese society. This military reputation was used to create a new philosophy. The emergence of a "prosperous nation, a strong army" is now gaining momentum for the rise of Japan.
जापान की सैन्य तानाशाही के कारण निम्नलिखित थे।
इसमें से 1867 की मीजी क्रांति, जापानी सेना का आधुनिकीकरण, चीन-चीनी युद्ध (1894-95), एंग्लो-जापानी मैत्री संधि, 1904-05 का रूस-जापानी युद्ध, जापान का बढ़ता हस्तक्षेप कोरिया, और जापान-पेरिस शांति परिषद और जापान की भ्रष्ट राजनीति में, ज़ैबात्सु जापानी सैन्यवाद का उदय राजनीतिक दलों की विफलता, राजनीतिक दलों और सेना के बीच संघर्ष, मंचूरिया मुद्दा, जर्मनी के साथ एमिटी की संधि के कारण हुआ था। कम्युनिस्ट रूस, द्वितीय चीन-जापानी युद्ध और संयुक्त राष्ट्र की कमजोरी के खिलाफ। जापान के सैन्यवाद की परिणति द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की प्रविष्टि थी। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हिटलर के पोलैंड पर आक्रमण से हुई थी। शुरुआत में, जापान ने अलग रहने का फैसला किया था। जापान के चीन के आक्रमण से अमेरिका असंतुष्ट था। इससे अमेरिका के हितों को खतरा होगा। 1941 में, जापान ने इंडोचीन पर आक्रमण किया। इसलिए अमेरिका ने जापान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इसलिए जापान बाटघाटियाँ बन गया। 18 अक्टूबर, 1941 को जनरल टोज़ो ने जापान पर अधिकार कर लिया। अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध और शर्तें जापान के लिए अस्वीकार्य थीं। नाराज होकर, जापान ने 7 दिसंबर, 1941 को प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर हवाई हमला किया। इससे संयुक्त राज्य अमेरिका को भारी नुकसान हुआ। जापान की कार्रवाई के कारण एशिया में द्वितीय विश्व युद्ध का प्रकोप शुरू हो गया।
इस प्रकार, राजनीतिक दलों और सेना के बीच संघर्ष में, सेना का बोझ धीरे-धीरे भारी हो गया। सभी राजनीतिक दल सेना का विरोध करने के लिए एक निश्चित नीति के साथ नहीं आए हैं। सेना की महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया है। इसके विपरीत, सैन्य समूह प्रशासन में उच्च अधिकारियों का सहयोग हासिल करने में सफल रहा। इसलिए उनकी ताकत दब गई। सेना ने आंतरिक राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत किया और 1945 तक जापान पर सफलतापूर्वक शासन किया। अन्य तानाशाही राष्ट्रों की तरह, जापान ने भी चरम सैन्य राष्ट्रवाद का कहर बरपाया।
इस प्रकार, राजनीतिक दलों और सेना के बीच संघर्ष में, सेना का बोझ धीरे-धीरे भारी हो गया। सभी राजनीतिक दल सेना का विरोध करने के लिए एक निश्चित नीति के साथ नहीं आए हैं। सेना की महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया है। इसके विपरीत, सैन्य समूह प्रशासन में उच्च अधिकारियों का सहयोग हासिल करने में सफल रहा। इसलिए उनकी ताकत दब गई। सेना ने आंतरिक राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत किया और 1945 तक जापान पर सफलतापूर्वक शासन किया। अन्य तानाशाही राष्ट्रों की तरह, जापान ने भी चरम सैन्य राष्ट्रवाद का कहर बरपाया।
English Translation
The following were the causes of Japan's military dictatorship. In it etc. C. The Meiji Revolution of 1867, the modernization of the Japanese army, the Sino-Chinese War (1894-95), the Anglo-Japanese Friendship Treaty, the Russo-Japanese War of 1904-05, Japan's increasing intervention in Korea, and the Japan-Paris Peace Council and the corrupt politics of Japan, Zaibatsu The rise of Japanese militarism was due to the failure of political parties, conflicts between political parties and the military, the Manchuria issue, the Treaty of Amity with Germany against Communist Russia, the Second Sino-Japanese War, and the weakness of the United Nations. The culmination of Japan's militarism was Japan's entry into World War II. World War II began with Hitler's invasion of Poland. Initially, Japan had decided to remain aloof. The United States was dissatisfied with Japan's invasion of China. This would have jeopardized America's interests. In 1941, Japan invaded Indochina. So the US imposed economic sanctions on Japan. So Japan became the Bataghatis. On October 18, 1941, General Tojo took over Japan. The sanctions and conditions imposed by the US were unacceptable to Japan. Outraged, Japan launched an air strike on December 7, 1941, on the US naval base Pearl Harbor in the Pacific Ocean. This caused huge losses to the United States. Japan's action led to the outbreak of World War II in Asia.
Thus, in the conflict between the political parties and the army, the burden of the army gradually became heavier. Not all political parties have come up with a definite policy to oppose the military. The ambitions of the army have not been curtailed. On the contrary, the military group had succeeded in gaining the cooperation of high officials in the administration. So their strength was overwhelmed. The military strengthened its position in internal politics and successfully ruled Japan until 1945. Like other dictatorial nations, Japan wreaked havoc through extreme military nationalism.
यह याद रखना
आदि जापान में। सी। 1967 में, मीजी क्रांति हुई। इस क्रांति के कारण, जापान ने आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति की। जापान में एक नए युग में मीजी क्रांति की शुरुआत हुई। ज़ायबात्सू जापान में एक उद्योग समूह था। उनके हाथों में जापान की आर्थिक नब्ज थी। इसमें जापान के विभिन्न परिवार शामिल थे। जेनरो जापानी सम्राट का सलाहकार बोर्ड है। पर्ल हार्बर प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना का बेस था।
द्वितीय विश्व युद्ध और दुनिया:
हिटलर ने 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर आक्रमण किया और द्वितीय विश्व युद्ध के तत्काल बाद शुरू हुआ। पहले दो वर्षों में, बिजली की गति के साथ, हिटलर ने कई देशों पर विजय प्राप्त करके इंग्लैंड को आतंकित किया। जून 1941 से, उन्होंने रूस पर एक आश्चर्यजनक हमला किया और इसे युद्ध में खींच लिया। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, इटली, जापान, एक ओर, और दूसरी ओर फ्रांस, इंग्लैंड और रूस ने एक घातक युद्ध शुरू किया। अमेरिका फ्रांस को भीतर से मदद कर रहा था। लेकिन वास्तव में युद्ध में नहीं गए थे। जापान ने अचानक संयुक्त राज्य पर आक्रमण किया और उसे युद्ध में घसीटा, संयुक्त राज्य अमेरिका के युद्ध में जाने के बाद से युद्ध छिड़ गया है। जर्मन समूह हार गया और 30 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने आत्महत्या कर ली। जापान ने युद्ध जारी रखा। लेकिन नए आविष्कार किए गए परमाणु बम ने दो जापानी शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी को नष्ट कर दिया। संपूर्ण जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध छह साल तक चला।
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण
द्वितीय विश्व युद्ध अचानक नहीं हुआ, बल्कि यह कई चीजों के कारण हुआ। मुख्य कारण इस प्रकार हैं।
English Translation
Remember this
In Japan in 1967, the Meiji Revolution took place. Due to this revolution, Japan made tremendous progress in economic, political and social fields. The Meiji revolution ushered in a new era in Japan. Zaibatsu was an industry group in Japan. Japan had an economic pulse in their hands. It included various families from Japan. Genaro is the advisory board of the Japanese emperor. Pearl Harbor was a US Navy base in the Pacific Ocean.
World War II and the world:
Hitler invaded Poland on 1 September 1939 and began immediately after World War II. In the first two years, with lightning speed, Hitler terrorized England by conquering many countries. From June 1941, he launched a surprise attack on Russia and dragged it into battle. Germany, Austria, Hungary, Italy, Japan, on the one hand, and France, England, and Russia on the other, started a deadly war. America was helping France from within. But did not actually go to war. Japan suddenly invaded the United States and dragged it into war, war has erupted since the United States went to war. The German group was defeated and Hitler committed suicide on April 30, 1945. Japan continued the war. But the newly invented atomic bomb destroyed two Japanese cities, Hiroshima and Nagasaki. Entire Japan surrendered and World War II lasted for six years.
Due to the second world war
World War II did not happen suddenly, rather it was caused by many things. The main reasons are as follows.
1) वैश्विक आर्थिक समस्याएं
प्रथम विश्व युद्ध के बाद, पराजित और विजयी राष्ट्रों को भी भारी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। संयुक्त राज्य अमेरिका के अपवाद के साथ, सभी देशों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। वित्तीय द्वितीय विश्व युद्ध का एक बड़ा कारण एडवाइजर था। युद्ध से हुए नुकसान ने राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाला था। मुद्रा स्फीति, बेरोजगारी आदि ने कई आर्थिक समस्याएं पैदा कीं। वर्साय के प्यासे राष्ट्र पर लगाए गए आर्थिक फिरौती ने देश को और अधिक प्रभावित किया था। इसी तरह, 1929 में, लगभग सभी यूरोपीय देशों में वैश्विक आर्थिक मंदी की लहर असंतोष का कारण बनी। आर्थिक मंदी का आम लोगों के दैनिक जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। जैसे-जैसे आर्थिक संकट बढ़ा, जनता में असंतोष बढ़ता गया।
2। सैन्य तानाशाही का उदय
प्रथम विश्व युद्ध के बाद, विजयी राष्ट्रों ने कई देशों में लोकतांत्रिक शासन स्थापित किया। आज तक, जो लोग सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली के बारे में नहीं जानते हैं, वे सोचने लगे कि लोकतंत्र एक तरह का संकट है। इटली, जर्मनी, पोलैंड, ऑस्ट्रिया, यूगोस्लाविया आदि। कई देशों में लोकतांत्रिक प्रणाली स्थापित की। लेकिन ये लोकतांत्रिक सरकारें कमजोर थीं। लोकतंत्र के बिना अनुभव वाले लोग विभिन्न प्रकार के मुद्दों, निरंतर चल रहे धर्मांतरण, कभी बदलते मंत्रिमंडल, सरकार में भ्रष्टाचार, कठिन आर्थिक व्यवस्था और अनसुलझे मुद्दों से तंग आ चुके हैं। वे सोचने लगे कि तानाशाही भ्रम से बेहतर था। नतीजतन, यूरोप में हिटलर और मुसोलिनी जैसे आक्रामक तानाशाह सत्ता में आए, और यूरोप में सैन्यवाद बढ़ने लगा, यह कहते हुए कि कुछ मुद्दों को सौहार्दपूर्ण रूप से हल नहीं किया जा सकता है लेकिन सैन्य बल द्वारा हल किया जाना था। परिणामस्वरूप, राष्ट्र में संघर्ष बढ़ गया।
English Translation
1) Global Economic Problems
After the First World War, the defeated and victorious nations also faced enormous economic problems. With the exception of the United States, the economic situation of all countries had deteriorated. Financial
A major cause of World War II was the adviser. The loss from the war had put tremendous pressure on the economy of the nations. Inflation, unemployment etc. created many economic problems. The economic ransom imposed on the thirsty nation of Versailles further affected the country. Similarly, in 1929, a wave of global economic slowdown caused dissatisfaction in almost all European countries. The economic recession has had a devastating effect on the daily lives of ordinary people. As the economic crisis progressed, public discontent grew.
2. Rise of military dictatorship
After World War I, victorious nations established democratic rule in many countries. Till date, people who do not know about democratic system of government started thinking that democracy is a kind of crisis. Italy, Germany, Poland, Austria, Yugoslavia etc. Established democratic system in many countries. But these democratic governments were weak. People with no experience of democracy are fed up with a wide range of issues, ongoing conversions, ever changing cabinet, corruption in government, difficult economic system and unresolved issues. They started thinking that dictatorship was better than illusion. As a result, aggressive dictators like Hitler and Mussolini came to power in Europe, and militarism began to rise in Europe, stating that some issues could not be resolved amicably but had to be resolved by military force. As a result, conflict increased in the nation.
3. शांति स्थापना और क्षेत्रीय पुनर्गठन:
पेरिस शांति सम्मेलन के दौरान विजयी राष्ट्रों ने यूरोप में कई क्षेत्रीय परिवर्तन किए। इस परिवर्तन के कारण कई यूरोपीय राष्ट्रों में व्यापक असंतोष हुआ। वर्साय की प्यास से जर्मनी पर लगाए गए अपमानजनक परिस्थितियों ने जर्मनी के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई। इटली ने शांति वार्ता के दौरान अपने युद्ध के वादों का सम्मान करने में विफलता से धोखा महसूस किया। जापान ने शांति सम्मेलन के दौरान अनुभव किया कि यूरोपीय राष्ट्र हमें समान दर्जा नहीं देते हैं। इससे एक आक्रामक राष्ट्र का उदय हुआ।
4. संयुक्त राष्ट्र की विफलता विश्व शांति बनाए रखने के लिए एक संयुक्त जिम्मेदारी से संयुक्त राष्ट्र बनाया गया था। लेकिन सामूहिक सुरक्षा के संदर्भ में, कोई वास्तविक आंदोलन नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र आक्रामक राष्ट्रवाद और सैन्यवाद पर अंकुश लगाने में विफल रहा है। इसलिए, आक्रामक राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र के निर्णय को लाइन पर रखा। छोटे, कमजोर राष्ट्र आक्रामक राष्ट्रों के शिकार हुए। संयुक्त राष्ट्र ने जर्मनी, जापान और इटली की आक्रामक नीतियों को देखना जारी रखा। सेना की अनुपस्थिति में उनकी विरोधी भूमिका नहीं ली जा सकती थी। परिणामस्वरूप, ये राष्ट्र आक्रामक हो गए। इसके कारण द्वितीय विश्व युद्ध का प्रकोप बढ़ गया।
English Translation
3. Peacekeeping and regional restructuring:
The victorious nations made many regional changes in Europe during the Paris Peace Conference. This change caused widespread discontent in many European nations. The humiliating conditions imposed on Germany by the Thirst of Versailles hurt Germany's self-esteem. Italy felt betrayed by the failure to honor its war promises during the peace talks. Japan experienced during the peace conference that European nations do not give us equal status. This led to the emergence of an aggressive nation.
4. The failure of the United Nations The United Nations was created out of a collective responsibility to maintain world peace. But in terms of collective security, there has been no real movement. The United Nations has failed to curb aggressive nationalism and militarism. Therefore, the aggressor nations put the decision of the United Nations on the line. Small, weak nations fell prey to aggressive nations. The United Nations continued to look down on the aggressive policies of Germany, Japan and Italy. Their opposing role could not be taken in the absence of the army. As a result, these nations became aggressive. This led to the outbreak of World War II.
5) चरम राष्ट्रवाद और हथियारों की दौड़:
"मेरे अपने राष्ट्र के साथ, राष्ट्र का अपमान करना मेरा अपमान है और मैं इसके लिए जो भी बनाना चाहता हूं, उसका त्याग करूंगा।" इसलिए गुप्त समझौते करने, झूठे प्रचार को फैलाने और समझौते को तोड़ने की प्रथा शुरू हुई। एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र से डरने लगा। इस डर से हमारी सैन्य ताकत बढ़ाने और नए हथियार खोजने की होड़ लग गई। शोधकर्ताओं की मदद से सामूहिक विनाश के हथियार खोजे गए। इस प्रकार यूरोप में हथियारों की दौड़ शुरू हुई, यूरोप को गोला-बारूद से भरे खलिहान में बदल दिया।
द्वीतीय विश्व युद्ध की शुरुवात
1 सितंबर, 1939 को जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण करने के तुरंत बाद, इंग्लैंड और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। इसी समय, यूरोप में युद्ध छिड़ गया। अमेरिका तटस्थ रहा और मित्र राष्ट्रों की मदद की। दिसंबर 1941 में, जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका को युद्ध में चित्रित करते हुए, प्रशांत महासागर में पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर हवाई हमला किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान पर युद्ध की घोषणा की। इस बीच, इंग्लैंड और फ्रांस ने भी जापान पर युद्ध की घोषणा कर दी। इस प्रकार यह युद्ध यूरोप महाद्वीप तक ही सीमित नहीं था बल्कि विश्व युद्ध का रूप ले लिया। यह युद्ध लगभग छह वर्षों तक चला और भूमि, समुद्र और आकाश पर लड़ा गया।
English Translation
5) Extreme Nationalism and the arms race:
"With my own nation, it is an insult to insult the nation and I will sacrifice whatever I want to make up for it." So began the practice of making secret agreements, spreading false propaganda and breaking the agreement. One nation began to fear another nation. This fear led to an increase in our military strength and new weapons. Weapons of mass destruction were discovered with the help of researchers. Thus began an arms race in Europe, turning Europe into an ammunition-filled barn.
The beginning of the second world war
Soon after Germany invaded Poland on 1 September 1939, England and France declared war against Germany. At the same time, war broke out in Europe. America remained neutral and helped the Allies. In December 1941, Japan made an aerial attack on the US naval base at Pearl Harbor in the Pacific Ocean, depicting the United States at war. The United States declared war on Japan. Meanwhile, England and France also declared war on Japan. Thus, this war was not confined to the continent of Europe, but took the form of world war. This war lasted for about six years and was fought on land, sea and sky.
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम
द्वितीय विश्व युद्ध प्रथम विश्व युद्ध के बजाय एक विस्तारित क्षेत्र में हुआ, परमाणु बमों के साथ-साथ आधुनिक हथियारों का भी द्वितीय विश्व युद्ध में बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। यही कारण है कि इस विश्व युद्ध ने दुनिया में पूरे मानव जीवन को प्रभावित किया है। गोला-बारूद के अत्यधिक उपयोग से लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव होते हैं। इस विश्व युद्ध के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:
1. जीवन का भारी नुकसान और वित्तीय नुकसान:
द्वितीय विश्व युद्ध प्रथम विश्व युद्ध की तुलना में अधिक विनाशकारी था। प्रथम विश्व युद्ध के इन छह वर्षों के दौरान, अकेले युद्ध के मैदान पर लगभग 60 मिलियन सैनिक मारे गए थे। कहीं और, मृत और घायल, अनाथ और विकलांगों की संख्या अलग थी। युद्धरत देशों का सैन्य खर्च 1117 बिलियन था। संपत्ति का नुकसान दोगुना था। सार्वजनिक कार्य, घर, खेत, अस्पताल, कारखाने, बांध, इमारतें आदि तबाह हो गए थे कि कई पीढ़ियाँ नुकसान का सामना नहीं कर सकीं।
2. आर्थिक परिणाम
जीवन और संपत्ति के इतने बड़े नुकसान के कारण दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई। आम आदमी के जीवन में कई कठिनाइयाँ पैदा हुईं। युद्ध के अंत में, उनकी दुर्दशा कम होने के बजाय बढ़ गई। मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति, कमी, बीमारी, सूखा, काला बाजार आदि चीजें रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं। वस्त्रों, दवाओं, भोजन, कोयला और ईंधन की कमी थी। आम लोगों की हालत बहुत दयनीय हो गई।
The aftermath of World War II:
World War II took place in an expanded area, rather than World War I. Atomic bombs, as well as modern weapons, were used extensively in World War II. That is why this world war has affected the entire human life in the world. Excessive use of ammunition has long lasting effects. The major consequences of this world war are as follows:
Europe After WW2
1. Massive loss of life and financial loss:
World War II was more devastating than World War I. During these six years of World War I, about 60 million soldiers were killed on the battlefield alone. Elsewhere, the number of dead and injured, orphans and the disabled was different. The military spending of the warring nations was estimated at 1117 billion . Property damage was double that. Public works, houses, farms, hospitals, factories, dams, buildings etc. Was so devastated that many generations could not make up for the loss.
2. Economic consequences
The economy of all the nations of the world collapsed due to such a huge loss of life and property. Many difficulties arose in the life of the common man. At the end of the war, their plight increased rather than diminished. Inflation, inflation, scarcity, disease, drought, black market etc. Things became a part of everyday life. There was a shortage of textiles, medicines, food, coal, and fuel. The condition of the common people became very pitiable.
3) साम्राज्यवाद के पतन की शुरुआत:
द्वितीय विश्व युद्ध की हार के साथ, जर्मनी, इटली और जापान के साम्राज्य कम होने लगे। विजित राष्ट्रों के साम्राज्य भी चरमराने लगे। जीत के बावजूद, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसलिए यह साम्राज्य में लोगों की समस्याओं को हल करने में विफल रहा। इसमें भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, एशिया, मिस्र, सूडान, लीबिया आदि शामिल हैं। अफ्रीकी देश स्वतंत्र हो गए।
4) अमेरिका-रूस शीत युद्ध शुरू होता है
युद्ध की हार के कारण इंग्लैंड और फ्रांस विश्व राजनीति में नेतृत्व को त्यागने के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर लोकतांत्रिक देशों का पोषण करने के लिए यूरोप में कोई राष्ट्र नहीं बचा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का विरोध करने वाला दूसरा देश रूस के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व राजनीति से पीछे नहीं हट सकता है। अमेरिका को रूस को कई राष्ट्रों को कम्युनिस्ट बनाने के लक्ष्य के खिलाफ एक स्टैंड लेना पड़ा। शीत युद्ध एक तरफ अमेरिका के नेतृत्व वाले लोकतांत्रिक देशों के समूह और दूसरी ओर कम्युनिस्ट राष्ट्रों के रूसी नेतृत्व वाले समूह के बीच हुआ।
6) संयुक्त राष्ट्र की स्थापना (24 अक्टूबर, 1945)
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण हुई तबाही ने दुनिया के सभी देशों को युद्ध के विनाशकारी प्रभावों से अवगत कराया। तो वैश्विक समस्याओं को हल करने का तरीका युद्ध नहीं बल्कि समन्वय है। अब अगर युद्ध छिड़ गया तो युद्ध के बाद जीत का फल चखने के लिए कोई नहीं बचेगा। यह मानते हुए कि सभी मानव जाति नष्ट हो जाएगी, वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए सहयोग और सह-अस्तित्व की तलाश और विश्व शांति बनाए रखने के लिए 24 अक्टूबर, 1945 को एक नए अंतरराष्ट्रीय संगठन का गठन किया गया। यह संयुक्त राष्ट्र (UNO) है।
English Translation
3) The beginning of the decline of imperialism:
With the defeat of World War II, the empires of Germany, Italy, and Japan began to decline. The empires of the conquered nations also began to crumble. Despite the victory, they had suffered heavy losses. So it failed to solve the problems of the people in the empire. This includes India, Sri Lanka, Indonesia, Asia, Egypt, Sudan, Libya, etc. African countries became independent.
4) US-Russia Cold War begins
With England and France relinquishing leadership in world politics due to the losses of the war, there is no nation left in Europe to nurture democratic nations except the United States. The United States has not been able to withdraw from world politics since Russia, the second nation to oppose the United States after World War II. The United States had to take a stand against Russia's goal of making many nations communist. The Cold War broke out between the US-led group of democratic nations on the one hand and the Russian-led group of communist nations on the other.
6) Establishment of the United Nations (October 24, 1945)
The devastation caused by World War II made all the nations of the world aware of the devastating effects of war. So the way to solve global problems is not war but coordination. Now if war breaks out, no one will survive to taste the fruits of victory after war. Convinced that all mankind would perish, a new international organization was formed on October 24, 1945, to seek cooperation and coexistence to solve global problems, and to maintain world peace. It is the United Nations (UNO).
संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य:
संयुक्त राष्ट्र का चार्टर 111 लेख हैं। इसमें संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्य शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के चार मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
1) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करना।
2) युद्ध और न्याय के बजाय राष्ट्रों के बीच विवाद
अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सुलह।
3) विश्व शांति के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए,
राष्ट्र में उनके बीच कोई अंतर नहीं है.अंतर्राष्ट्रीय मित्रता, सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना।
4) विभिन्न राष्ट्रों को एक साथ लाना और विभिन्न आर्थिक,
एक दूसरे के सहयोग से सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को हल करना।
एक दूसरे के सहयोग से सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को हल करना।
उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, संगठन के सभी सदस्य देशों पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे। इसमें, सभी देशों को समान माना जाएगा, कोई भी संयुक्त राष्ट्र या अन्य सदस्य राज्य किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, प्रत्येक राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करेगा, और संगठन में राष्ट्र बल के उपयोग के बिना विवादों को हल करेंगे।
English Translation
Objectives of the United Nations:
The Charter of the United Nations is 111 articles. This includes the objectives of the United Nations. The four main objectives of the United Nations are:
1) To establish international peace and security.
2) Disputes between nations instead of war and justice
Reconciliation according to international law.
3) To create an environment conducive to world peace,
There is no difference between them in the nation
To promote international friendship, cooperation and coordination.
4) Bringing different nations together and different economic,
Solving social and cultural issues with each other's cooperation.
To achieve the above objectives, certain restrictions were imposed on all member states of the organization. In this, all countries will be treated equal, no UN or other member states will interfere in the internal affairs of any nation, each nation will follow the rules set by the United Nations, and disputes will solve without the use of national force in the organization.
यह याद रखना
मुसोलिनी एक इटली के लोहार बेटा था। 1919 में उन्होंने फासिस्ट पार्टी की स्थापना की। हिटलर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान घर बना रहा था। मुस्तफा केमलपाशा का जन्म तुर्की के लकड़ी व्यापारियों के परिवार में हुआ था। उनकी तानाशाही सुधारवादी थी।
जापानी राजनीति में सम्राट, जेनरो, राजनीतिक दल, सेना, प्रशासन और जेबतुस सत्ता के महत्वपूर्ण केंद्र थे। 1 सितंबर, 1939 को जर्मनी के हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया और द्वितीय विश्व युद्ध के तत्काल बाद शुरू हुआ।
English Translation
Remember this
Mussolini was the son of an Italian blacksmith. In 1919 he founded the Fascist Party. Hitler was painting houses during World War I. Mustafa Kemalpasha was born into a family of timber merchants in Turkey. His dictatorship was reformist. The emperor, Jenro, the political party, the army, the administration, and Zebatsu were important centers of power in Japanese politics. On September 1, 1939, Hitler of Germany invaded Poland, and the immediate aftermath of World War II began.
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English Translation
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