Armenia - Azerbaijan Conflict.

आर्मेनिया और अझरबैजान के बीच फिर से युद्ध की शुरुआत हो गई है. कई दिनो से चले आ रहे है इस युद्ध मे कई लोग मारे जा चुके है. इन दो देशो के बिच चले आ रहे है इस संघर्ष मे एक और जहा तुर्की ने अझरबैजान का समर्थन किया, तो वही रूस ने संघर्ष विराम दोन देशों के बिच संघर्ष को खतम करने की बात कही है. 2016 के बाद दोनों के बीच हो रही ये जंग अब तक की सबसे खतरनाक जंग हैं.

English Translation --

The war between Armenia and Azerbaijan has started again. For many days, many people have been killed in this war. Between these two countries are going on, in this conflict, where Turkey has supported Azerbaijan, the same Russia has said that the ceasefire will end the conflict between the two countries. After 2016, this war between the two is the most dangerous battle ever.

आज मैं आपको बताऊंगा कि क्यों जंग कर रहे है आर्मेनिया और अजरबैजान?  क्या है दोनों देशों के बीच संघर्ष की असली वजह? साथ में रूस और तुर्की की इस जंग में क्या भूमिका है उस पर भी चर्चा करेंगे. अगर आप दुनिया के बारे में जानना चाहते है तो हमारा ब्लॉग रोजाना पढिये.

English Translation --

Today I will tell you why Armenia and Azerbaijan are at war? What is the real reason for the conflict between the two countries? Together Russia and Turkey will also discuss what is the role in this war. If you want to know about the world, then read our blog daily.

विवादित नागोर्नो करबाख क्षेत्र पर अर्मेनिया अजरबैजान के बीच भारी संघर्ष अभी भी जारी है। और दोनों सेनाओं ने फिलहाल पीछे हटने से इनकार कर दिया है। इस युद्ध में, ईरान ने चेतावनी दी है कि यह कहर पैदा कर सकता है और इस युद्ध से व्यापक क्षेत्रीय युद्ध हो सकता है। कई इस्लामिक देश अरबाजान के पक्ष में हैं और कुछ ईसाई देशों के पास आर्मेनिया का समर्थन है। तुर्की और पाकिस्तान अज़रबैजान का समर्थन कर रहे हैं। OIC सदस्य देश चीन के साथ अज़रबैजान का समर्थन कर सकते हैं।

आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुए इस युद्ध का एक महत्वपूर्ण कारण है। विवाद की जड़ें नागोर्नो कराबाख के पहाड़ी क्षेत्र में हैं। यह क्षेत्र 1994 में लड़ाई खत्म होने के बाद आर्मेनिया के कब्जे में है, जहां एक और अजरबैजान का दावा है। आर्मेनिया और अजरबैजान, जो नागोर्नो कराबाख के क्षेत्र के बारे में पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा था। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में शुरुआती दौर में भी संघर्ष किया है।

English Translation--

A heavy struggle between Armenia Azerbaijan over the disputed Nagorno Karabakh region is still going on. And both armies have refused to retreat for the moment. In this war, Iran has warned that it can cause havoc and this war can lead to widespread regional warfare. Many Islamic countries are in favor of Arbaizan and some Christian countries have support for Armenia. Turkey and Pakistan are supporting Azerbaijan. OIC member countries can support Azerbaijan with China.

This war between Armenia and Azerbaijan has an important reason. The dispute has its roots in the mountainous region of Nagorno Karabakh. This area is occupied by Armenia after the fighting ended in 1994, where another Azerbaijan has its claim. Armenia and Azerbaijan, which was part of the former Soviet Union, regarding the territory of Nagorno Karabakh. They have also struggled in the early stages in the 1980s and 1990s.

दोनों देशो ने कई बार युद्धविराम की घोषना भी की लेकीन सही मायनों में शांती समजौते पर दोनों कभी भी सहमत नहीं हो पाये। 
दरअसल दक्षिण पूर्वी युरोप में पड़ने वाली काकेशस के इलाके की पहाडीया रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. 1920 में जब सोवीएत संघ बना तो अभी के ये दोनो देश आरमेनिया और अजरबैजान उसका हिस्सा बन गए। उस समय ये सोविएत गणतंत्र के नाम से जाने जाते थे. यहां आपको बता दें कि नगोर्नो कराबाख की अधिकतर आबादी आर्मेनियन है हालाँकी सोवीयत अधिकारियों ने उसे अजरबैजान के हातों सौप दिया था। इसी के बाद से दशको तक नागोरनो कारबाख के लोगो ने कई बार ये इलाका आर्मेनिया को सौपने की अपील की। 

English Translation--

Both countries have also declared a ceasefire several times, but in true terms, the two could never agree on peace.
In fact, the hills of the Caucasus region of South Eastern Europe are considered strategically very important. In 1920, when the Soviets Union was formed, both these countries Armenia and Azerbaijan became part of it. At that time, they were known as the Soviet Republic. Let me tell you here that the majority of the population of Nagorno Karabakh is Armenians, although the Soviet authorities gave it to the hands of Azerbaijan. Since then, people of Nagorno Karbakh have appealed to hand over this area to Armenia many times.


लेकिन वास्तविक विवाद 1980 के दशक में शुरू हुआ जब सोवियत संघ का विघटन शुरू हुआ और नागोर्नो काराबख की संसद ने आधिकारिक तौर पर खुद को आर्मेनिया का हिस्सा बनाने के लिए मतदान किया। इसके बाद, अजरबैजान ने यहां शुरू हुए अलगाववादी आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश की और इस आंदोलन को आर्मेनिया का लगातार समर्थन मिला। इसका नतीजा यह हुआ कि यहां जातीय संघर्ष शुरू हो गया और सोवियत संघ के पूरी तरह से मुक्त होने के बाद एक तरह का युद्ध शुरू हो गया। आपको बता दें कि नागोर्नो कारबाख के पर्वतीय क्षेत्र के सामरिक महत्व के बारे में, ऊर्जा संपन्न अजरबैजान ने काकेशस (काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच का क्षेत्र) से तुर्की और यूरोप तक कई गैस और पाइपलाइनों का निर्माण किया है। इनमें बाकू-टिबिलिसी-सेहान पाइपलाइन पश्चिमी निर्यात तेल पाइपलाइन, ट्रान्स अनातोलियन गैस पाइपलाइन और दक्षिण कॉकस गैस पाइपलाइन शामिल हैं।

English Translation--

But the real controversy began in the 1980s when the disintegration of the Soviet Union began and the parliament of Nagorno Karabakh officially voted to make itself part of Armenia. After this, Azerbaijan tried to end the separatist movement started here, and this movement was continuously supported by Armenia. The result was that ethnic conflicts started here and a kind of war started after the Soviet Union was completely liberated. Tell you about the strategic importance of the region of the mountainous region of Nagorno Karbakh, the energy-rich Azerbaijan has built many gas and pipelines from the Caucasus (i.e. the area between the Black Sea and the Caspian Sea) to Turkey and Europe. These include the Baku-Tbilisi-Ceyhan Pipeline Western Export Oil Pipeline, Trance Anatolian Gas Pipeline and South Cockass Gas Pipeline.

इनमें से कुछ पाइपलाइन संघर्ष क्षेत्र के करीब से भी गुजरती हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध में पाईपलाइनो को लक्षित किया जा सकता है, जो उर्जा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस पूरे स्थीती में तुर्की की भूमिका को समझें तो तुर्की ने हमेशा से अजरबैजान का समर्थन किया है और आर्मेनिया के साथ एक दुष्मनि भरा रिश्ता कायम रखा. 1990 के दशक में, युद्ध के दौरान , तुर्की ने अर्मेनिया के साथ अपनी सीमा को बंद कर दिया और अब तुर्की का अर्मेनिया के साथ कोई राजनैतिक संबंध नहीं है।

English Translation --

Some of these pipelines also pass close to the conflict zone. Pipeline could be targeted in a war between the two countries, which could affect energy supply. Understanding Turkey's role in this whole situation, Turkey has always supported Azerbaijan and maintained a bitter relationship with Armenia. In the 1990s, during the war, Turkey closed its border with Armenia and now Turkey has no political relationship with Armenia.
तुर्की और आर्मेनिया के बीच दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य बिंदु 1915 के आर्मेनिया नरसंहार को पहचानने से अंकारा का इनकार था जिसमें तुर्को ने लगभग 1.5 मिलियन आर्मीनियाई लोगों की हत्या कर दी थी। इस स्थिति में, रूस के अर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। रूस केवल दोनों देशों को हथियारों की आपूर्ति करता है। लेकिन अर्मेनिया अज़रबैजान की तुलना में रूस पर अधिक निर्भर है। रूस का आर्मेनिया में भी सैन्य अड्डा है। लेकिन रूस दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। रूस दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष को रोक सकता है, एक बड़ा संकट। 1990 दशक में, रूस ने दोनों देशों के बीच संघर्ष को स्थगित कर दिया था।
  
English Translation --

The main point of dispute between the two countries between Turkey and Armenia was Ankara's refusal to recognize the 1915 Armenia massacre in which Turko killed about 1.5 million Armenian people. In this situation, Russia has good relations with both Armenia and Azerbaijan countries. Russia only supplies arms to both countries. But Armenia is more dependent on Russia than Azerbaijan. Russia also has a military base in Armenia. But Russia is trying to strike a balance between the two countries. Russia can stop the ongoing conflict between the two countries, a major crisis.
In 1990 decade, Russia had stopped the conflict between the two countries.








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